Kumar Vishwas Shayari: Today we have brought specially for you some selected poetry of Dr. Kumar Vishwas, which you will surely like.
Kumar Vishwas Shayari

कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझाता है,
हर धरती की बेचैनी को बस
बादल समझता है।

इस अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा,
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा,
जिसमें धुलकर नज़र भी न पावन बनी
आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा।

उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे

जब से मिला है साथ मुझे आप का हुजूर
सब ख़्वाब ज़िंदगी के हमारे सँवर गए

फिर मिरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी

मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल
समझता है।

चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की खुशबुएँ
राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए

जिंदगी से लड़ा हूँ तुम्हारे बिना
हाशिए पर पड़ा हूँ तुम्हारे बिना
तुम गई छोड़कर, जिस जगह मोड़ पर
मैं वहीं पर खड़ा हूँ तुम्हारे बिना.!

जब भी मुँह ढंक लेता हूँ
तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में…!
जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों में आ रहा हूँ मैं !
उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,
वह मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे।
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।
दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए
जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है,
कतरा कतरा सागर तक तो, जाती है हर उस मगर,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है.!
मैं अपने गीत-गजलों से उसे पैग़ाम करता हूँ,
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ,
हवा का काम है चलना, दीये का काम है जलना,
वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूँ…
ज़ख्म भर जाएंगे, तुम मिलो तो सही,
दिन सँवर जाएंगे, तुम मिलो तो सही,
रास्ते में खड़े दो अधूरे सपन,
एक घर जाएंगे, तुम मिलो तो सही
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है।
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं।
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !
दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे.
दिल के सब राज़ दे रहा हूँ तुम्हे.
ये ग़ज़ल, गीत सब बहाने है.
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ तुम्हें..!
Kumar Vishwas Shayari Love
बात करनी है बात कौन करे
दर्द से दो दो हाथ कौन करे..
ख़ुद को आसान कर रही हो ना
हम पे एहसान कर रही हो ना..
बात करनी है बात कौन करे
दर्द से दो दो हाथ कौन करे..
ये खयालों की बदहवासी है
या तेरे नाम की उदासी है
तुमने हमको तबाह कर डाला
बात होने को ये जरा सी है.
उन की खैरो खबर नहीं मिलती
हम को ही खासकर नहीं मिलती
लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जिधर हूं उधर नहीं मिलती.
उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा
ये मुसाफिर तो कोई और ठिकाना चाहे.
आइने में निहार कर खुद को
कुछ इशारों की याद आती है
आसमां की सियाह रातों को
अब सितारों की याद आती है.
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सिलवट हटा रही होगी.
खुद को आसान कर रही हो ना
हम पे एहसान कर रही हो ना
जिंदगी हसरतों की मय्यत है
फिर भी अरमान कर रही हो ना.
तुम्हें जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे खून में पानी बहुत है
कबूतर इश्क का उतरे तो कैसे
तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है.