Kumar Vishwas Shayari

Kumar Vishwas Shayari

Kumar Vishwas Shayari: Today we have brought specially for you some selected poetry of Dr. Kumar Vishwas, which you will surely like.

Kumar Vishwas Shayari

Kumar Vishwas Shayari

जब भी मुँह ढंक लेता हूँ
तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में…!

जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों में आ रहा हूँ मैं !

उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,
वह मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे।
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।

दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए

जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है,
कतरा कतरा सागर तक तो, जाती है हर उस मगर,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है.!

मैं अपने गीत-गजलों से उसे पैग़ाम करता हूँ,
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ,
हवा का काम है चलना, दीये का काम है जलना,
वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूँ…

ज़ख्म भर जाएंगे, तुम मिलो तो सही,
दिन सँवर जाएंगे, तुम मिलो तो सही,
रास्ते में खड़े दो अधूरे सपन,
एक घर जाएंगे, तुम मिलो तो सही

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है।
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं।
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !

दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे.
दिल के सब राज़ दे रहा हूँ तुम्हे.
ये ग़ज़ल, गीत सब बहाने है.
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ तुम्हें..!

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Author: Kuldeep

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