Gulzar Shayari: Gulzar sahab is one of the most popular writer in India. Also, the best filmmakers and lyricists. Gulzar Sahab Writes Thousand of Beautiful Ghazal, Shayari, Poetry, Quotes, Alfaaz, and Poems in Hindi & Urdu. Her words touch everyone’s heart. Today we have Collected some heart-touching Shayari’s of Gulzar Sahab.
गुलज़ार साहब एक महान लेखक हैं. उनके द्वारा लिखी शायरी, ग़ज़ल दिल को छू जाती है, यहाँ पर हमने ऐसी ही गुलज़ार साहब के द्वारा लिखी हुई कुछ लोकप्रिय शायरियों को एकत्रित किया है जो आपको बहुत पसंद आएँगी।
Gulzar Shayari
नजर भी ना आऊं
इतना भी दूर ना करो मुझे,
पूरी तरह बदल जाऊं
इतना भी मजबूर मत करो मुझे..
आइने के सामने खड़े होकर
खुद से ही माफी मांग ली मैंने,
सबसे ज्यादा अपना ही दिल दुखाया है
औरों को खुश करते करते..
दिल तो रोज़ कहता है
कि तुम्हे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है
क्यों तुम्हे धोखा दुबारा चाहिए..
हंसना मुझे भी आता था
पर किसी ने रोना सिखा दिया,
बोलने में माहिर हम भी थे
किसी ने चुप रहना सिखा दिया..
कोई रंग नही होता
बारिश के पानी में,
फिर भी फिजा को रंगीन
बना देती है..
इतने बुरे नही थे
जितने इल्ज़ाम लगाए लोगों ने,
कुछ किस्मत खराब थी
कुछ आग लगाई लोगों ने..
बहुत कम लोग हैं
जो मेरे दिल को भाते हैं,
और उससे भी बहुत कम हैं
जो मुझे समझ पाते हैं..
गुस्सा भी क्या करूं तुम पर
तुम हंसते हुए बेहद अच्छे लगते हो !
दोस्ती रूह में उतरा हुआ
रिश्ता है साहब,
मुलाकातें कम होने से
दोस्ती कम नही होती..
मुकम्मल इश्क से ज्यादा तो चर्चे
अधूरी मोहब्बत के होते हैं !
गुलजार की शायरी दर्द भरी
इश्क़ की तलाश में
क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है
जिसे बर्बाद करना होता है।
तू समझता क्यूं नही है
दिल बड़ा गहरा कुआँ है
आग जलती है हमेशा
हर तरफ धुआँ धुआँ है
तुझ से बिछड़ कर
कब ये हुआ कि मर गए,
तेरे दिन भी गुजर गए
और मेरे दिन भी गुजर गए.
एक बीते हुए रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते हो
आऊं तो सुबह,
जाऊं तो मेरा नाम शबा लिखना,
बर्फ पड़े तो
बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना
प्यार में अज़ीब ये रिवाज़ है,
रोग भी वही है जो इलाज है.
वो शख़्स जो कभी
मेरा था ही नही,
उसने मुझे किसी और का भी
नही होने दिया.
जाने कैसे बीतेंगी
ये बरसातें
माँगें हुए दिन हैं,
माँगी हुई रातें.
सालों बाद मिले वो
गले लगाकर रोने लगे,
जाते वक्त जिसने कहा था
तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे.
ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नही था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नही था.
जब भी आंखों में अश्क भर आए
लोग कुछ डूबते नजर आए
चांद जितने भी गुम हुए शब के
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए
वो बेपनाह प्यार करता था मुझे
गया तो मेरी जान साथ ले गया
जिन दिनों आप रहते थे,
आंख में धूप रहती थी
अब तो जाले ही जाले हैं,
ये भी जाने ही वाले हैं.
इस दिल में बस कर देखो तो
ये शहर बड़ा पुराना है
हर साँस में कहानी है
हर साँस में अफ़साना है
जबसे तुम्हारे नाम की
मिसरी होंठ लगाई है
मीठा सा गम है,
और मीठी सी तन्हाई है.
कोई वादा नही किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है
वक्त कटता भी नही
वक्त रुकता भी नही
दिल है सजदे में मगर
इश्क झुकता भी नही
धीरे-धीरे ज़रा दम लेना
प्यार से जो मिले गम लेना
दिल पे ज़रा वो कम लेना
एक बार जब तुमको बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
तब से मेरी नींद में बसती रहती हो
बोलती बहुत हो और हँसती रहती हो.
दबी-दबी साँसों में सुना था मैंने
बोले बिना मेरा नाम आया
पलकें झुकी और उठने लगीं तो
हौले से उसका सलाम आया
गुलज़ार शायरी हिंदी में
खून निकले तो ज़ख्म लगती है
वरना हर चोट नज़्म लगती है.
उड़ते पैरों के तले जब बहती है जमीं
मुड़के हमने कोई मंज़िल देखी तो नही
रात दिन हम राहों पर शामो सहर करते हैं
राह पे रहते हैं यादों पे बसर करते हैं
इतना लंबा कश लो यारो,
दम निकल जाए
जिंदगी सुलगाओ यारों,
गम निकल जाए
वो चेहरे जो रौशन हैं लौ की तरह
उन्हें ढूंढने की जरूरत नही
मेरी आँख में झाँक कर देख लो
तुम्हें आइने की जरूरत नही
मेरे उजड़े उजड़े से होठों में
बड़ी सहमी सहमी रहती है जबाँ
मेरे हाथों पैरों में खून नही
मेरे तन बदन में बहता है धुँआ
वक्त सालों की धुंध से
निकल जायेगा
तेरा चेहरा नज़र से
पिघल जायेगा
वो शाम कुछ अजीब थी,
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी करीब है
जीना भूले थे कहां याद नहीं!
तुमको पाया है जहाँ
सांस फिर आई वहीं
क्यूं बार बार लगता है मुझे
कोई दूर छुपके तकता है मुझे
कोई आस पास आया तो नही
मेरे साथ मेरा साया तो नही
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे,
खुद से मुलाकात हो गई
कुछ भी तो कहा नही मगर,
ज़िंदगी से बात हो गई