Allama Iqbal Shayari

Allama Iqbal Shayari

Allama Iqbal Shayari: Read some of the best creations of Nida Fazli which tells you a lot about life.

Allama Iqbal Shayari

दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं
ज़ख्म इतने मिले फिर सिले भी नहीं
व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा
सोच लेना कि हम तुम मिले भी नहीं।

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के “इम्तिहाँ” और भी हैं
तही “ज़िंदगी” से नहीं ये फ़ज़ाएँ
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं.!

जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !

तिरे इश्क़ की “इंतिहा” चाहता हूँ
मिरी “सादगी” देख क्या चाहता हूँ
ये जन्नत “मुबारक” रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ।

जलाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा
तड़प जा पेच खा खा कर बदल जा
नहीं साहिल तिरी किस्मत में ऐ मौज
उभर कर जिस तरफ चाहे निकल जा.. ।

तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ..!

ये कफन, ये क़ब्र, ये जनाज़े रस्म ए
शरीयत है इकबाल मार तो इंसान तब
ही जाता है जब याद करने वाला कोई
ना हो..!

मुझ सा कोई शख्स नादान भी न हो.
करे जो इश्क़ कहता है नुकसान भी न हो.

तिरे इश्क़ की “इंतिहा ” चाहता हूँ
मिरी “सादगी” देख क्या चाहता हूँ
ये जन्नत “मुबारक” रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ.!

मकानी हूँ कि आज़ाद-ए-मकां हूँ,
जहां में हूँ कि खुद सारा जहां हूँ,
वो अपनी ला-मकानी में रहे मस्त,
मुझे इतना बता दें मैं कहां हूँ.

Allama Iqbal Shayari

कुछ बातें अनकही रहने दो,
कुछ बातें अनसुनी रहने दो…!

अपना गुम ले के कहीं और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए

हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी
जिसको भी देखना कई बार देखना.!

किन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ है
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे.!

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो.!

बड़े बड़े ग़म खड़े हुए थे रास्ता रोके राहों में
छोटी-छोटी ख़ुशियों से ही हम ने दिल को शाद किया.!

तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए.!

बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे.!

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो.!

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला.

Kumar Vishwas Shayari >>


Author: Kuldeep

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