Nida Fazli Poetry: Read some of the best creations of Nida Fazli which tells you a lot about life.
Nida Fazli Poetry
हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी
जिसको भी देखना कई बार देखना.!
किन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ है,
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे..!
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है,
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है!
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो.!
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे.!
अपना गुम ले के कहीं और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए !
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो..!
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता.!
अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला,
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला!
कितना आदी हो गया था वो शक्स तुमारा….
तुम्हारे बगैर जियेगा कैसे ये सोच कर मर गया….
तुम से छुट कर भी तुम्हें
भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया
तुम को भुलाने के लिए.!
कहीं-कहीं से हर चेहरा तुम जैसा लगता है
तुम को भूल न पायेंगे हम, ऐसा लगता है
तुम क्या बिछड़े भूल गये रिश्तों की शराफ़त हम
अब जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत ना हुई
जिसको चाहा उसे अपना ना सके
जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई.!
तुम को चाहें भी और गैर के साथ भी देखें
तुम क्या जानो इश्क़ की क्या क्या लाचारी है.!
ज़ख्म भर जाएँ मगर दाग़ तो रह जाता है
दूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकतीं!
पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है.!
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता.!
मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर
ये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ.!
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है,
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है.!
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो!
अपना गुम ले के कहीं और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए…!