Nafrat Shayari: दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं Nafrat Shayari (नफ़रत शायरी) का 2025 का सबसे खूबसूरत संग्रह। इस पोस्ट में आपको देखने को मिलेंगी एक से बढ़कर एक बेहतरीन नफ़रत पर शायरी (Nafrat Shayari) जैसे – बेवफा नफरत शायरी, Nafrat Shayari 2 line, Attitude Nafrat Shayari, झूठ से नफरत शायरी आदि। यह नफरत शायरी लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए लिखी गई हैं, आप इन सभी को आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं और Instagram, Facebook or WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं।
Nafrat Shayari

तुम से रिश्ता अब कुछ ऐसा है,
ना नफ़रत है, ना इश्क़ पहले जैसा है।

मुझे नफ़रत पसंद है
मगर दिखावे का प्यार नही।

नफ़रत करने वाले भी
गजब का प्यार करते हैं मुझसे,
जब भी मिलते हैं,
कहते हैं तुझे छोड़ेंगे नहीं।

भूल जाऊं कुछ भी मगर,
लिखना नहीं भूलता,
नफ़रत भी कर लूं तुझसे कितनी भी
तुझे याद करना नहीं भूलता।

मोहब्बत से फुरसत
नहीं मिली वरना,
कर के बताते की
नफ़रत किसे कहते हैं।

नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
तुम काबिल हो तो बस नफ़रत के।

मिलो एक बार को तुम,
शिद्दत से एक बात करनी है,
तुझ से गले लग कर
तेरी ही शिकायतें हजार करनी है।

बेहद गुस्सा करते हो आजकल,
नफ़रत करने लगे हो, या
मोहब्बत ज्यादा हो गई।

नफ़रत मत करना हमसे
हमें बुरा लगेगा,
प्यार से कह देना
तेरी जरुरत नही है।

कोई पूछे अगर तुमसे मेरी कहानी,
कह देना, नफ़रत के भी काबिल
नही था.!
Attitude Nafrat Shayari

कुछ अजीब सा रिश्ता है,
उसके और मेरे दरमियां,
न नफ़रत की वजह मिल रही,
न मोहब्बत का सिला..!!

इंसान बड़ा खुदगर्ज है,
पसंद करे तो बुराई नही देखता,
नफ़रत करे तो अच्छाई नही देखता

मैं खुश हूं की उसकी नफ़रत का
अकेला वारिस हूं,
वरना मोहब्बत तो उसे कई लोगों से है।

मारना ही था तो कुछ और
हथियार इस्तेमाल किया होता,
यूं नफरतों के हथियार से मार कर
जिंदगी भर के लिए खामोश कर दिया।

गरीबी से नफ़रत तो है
मगर बदलने की चाह नही,
मौजूद हजारों रास्ते हैं,
मगर कहते हैं राह नही।

मोहब्बत सच्ची हो तो कभी
नफरत नहीं होती है अगर
नफरत होती है तो मोहब्बत
सच्ची नहीं होती है

नफरत की आग जो तुमने
इस दिल में लगाई है
तुमसे ही नही मोहब्बत से
भी हमें शिकायत हुई है.

नफरत हो दिल में तो मिलने
का मजा नहीं आता हैं,
वो आज भी मिलता है,
पर दिल कहीं और छोड़ आता है।

एक झूठ मैंने तुमसे कहा
मुझे नफरत है,
तुमसे एक झूठ तुम भी कह दो
तुम्हें मोहब्बत है मुझसे।

खुदा सलामत रखना उन्हें
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही
कुछ तो है जो वो हमसे करते हैं।
Attitude Nafrat Shayari

प्यार करता हु इसलिए फ़िक्र करता हूँ,
नफरत करूंगा तो जिक्र भी नही करूंगा।

नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली।

हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो,
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे।

हक़ से दो तो तुम्हारी नफरत भी कबूल हमें,
खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी न लें।

तेरी नफरतों को प्यार की खुशबु बना देता,
मेरे बस में अगर होता तुझे उर्दू सीखा देता।

ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत,
अपना अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये।

पहले इश्क़, फिर दर्द, फिर बेहद नफरत,
बड़ी तरकीब से तबाह किया तुमने मुझको।

वो इनकार करते हैं प्यार के लिए,
नफरत भी करते हैं तो प्यार करने के लिए।

मुझे नफरत है इस मोहब्बत के नाम से,
क्यूँ बिना कसूर तड़पा तड़पाकर मारा है मुझे।

तुम नफरत का धरना कयामत तक जारी रखो,
मैं प्यार का इस्तीफा जिंदगी भर नहीं दूंगा।
Nafrat Shayari 2 Line

बचपन से, लेकर आज तक
सबकुछ खोया गया,
एक तू भी ना मिले तो
शिकायत कैसी.

लेकर के मेरा नाम
वो मुझे कोसता है
नफरत ही सही पर
वो मुझे सोचता तो है !!

नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के,
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के !

ये नफरत नहीं फितरत है मेरी,
जिसे छोड़ दिया उसे छोड़ दिया !!

जो भी रस्में थी,
ज़माने की उसे निभाने दिया.,
उसे जाना था और हमने जाने दिया.

जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की
पुराने तो अब मुझे चाहने लगे है !!

हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे

कत्ल तो लाजिम है इस बेवफा शहर में,
जिसे देखो दिल में नफरत लिये फिरता है !!

नफरत की आग जो तुमने,
इस दिल में लगाई है,
तुमसे ही नही मोहब्बत,
से भी हमें शिकायत हुई है !

मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझको,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत न किया कर !!
नफ़रत शायरी हिंदी में
मुझसे नफरत करनी है,
तो इरादे मजबूत रखना,
जरा से भी चूके तो महोब्बत हो जायेगी।
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है,
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है !!
नफरत सी क्यों होती है,
इस ज़माने से हमको मोहब्बत
में तो उम्मीद किसी एक से ही की थी।
बचपन से,
लेकर आज तक सबकुछ खोया गया,
एक तू भी ना मिले तो शिकायत कैसी.।
नफरत नहीं है किसी से बस
अब किसी पर भरोसा नहीं रहा…
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के,
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के !
ये नफरत नहीं फितरत है मेरी,
जिसे छोड़ दिया उसे छोड़ दिया !!
नफरत ही करते हैं,
ना लोग हमसे और हम
कर भी क्या सकते हैं।
जो भी रस्में थी,
ज़माने की उसे निभाने दिया.,
उसे जाना था और हमने जाने दिया.।
भरोसा कोई एक तोड़ता है
नफरत सबसे हो जाती है !